आज की सच्चाई

आज की सचाई
ये जिंदगी बहुत है छोटी
समस्या है हजार,
मुश्किलें है बेकरार
पैसों की है मारा – मार
नही रुक रहा है बलात्कार
मिट रही है हमारी संस्कार
चुप चाप बेइमानी की चादर ओढ़े बैठी है सरकार
बेटे नही करते माता – पिता की कदर
अब सारे मोरल वैल्यू हो रहे है बेअसर
जुल्म हो रहा है उस पर जिसका नही है कसूर
क्योंकि इंसानों के अंदर बैठा है असुर
कही है गद्दार तो कही है बईमान
गरीब है गरीबी से परेशान
बिक चुका है सबका ईमान
अब बहुत कम बचा है इंसान
जिसके पास है दया और करुणा की कमान
गरीब अन्न को तरसता है
तो किसान आत्महत्या कर बैठता है
कही इज्जत की हो रही है नीलामी
तो कही इंसान कर रहा है गुलामी
हर जगह हो रही है लड़ाई
तो कही प्यार नही देता है दिखाई
कोई शान से खाता है मलाई
तो किसी के पास ओढ़ने की न है रजाई
झूठे को प्रोत्साहन तो अच्छे को पिटाई
यही है आज की सच्चाई!!

Scroll to Top