आवेश तथा विद्धुत क्षेत्र

स्थिरवैद्युतिकी

  • भौतिक विज्ञान की वह शाखा जिसमें आवेश के स्थिर अवस्था के कारण होने वाले घटनाओं तथा उसके  गुणों के बारे में अध्ययन करते है, उसे स्थिर वैधुतिकी कहते है1
  • आवेश:- आवेश किसी पदार्थ का वह गुण है जिसे  विद्युत क्षेत्र या चुंबकीय क्षेत्र में रखने पर उसमें आकर्षण या प्रतिकर्षण गुण उत्पन्न होता है।
  • आवेश दो प्रकार का होता है :-
    (i) धनावेश
    (ii) ऋणावेश 
आवेश

आवेशित करने का तरीका

  • घर्षण द्वारा :- जब दो वस्तुओं को आपस में रगड़ा  जाता है तो एक के ऊपर धनावेश तथा दूसरे के ऊपर ऋणावेश उत्पन्न हो जाता है !
स्थिरवैद्युतिकी
  • Conduction द्वारा :- इस विधि में एक आवेशित वस्तु से उदासीन वस्तु को संपर्क में लाने से उदासीन वस्तु पर भी समान आवेश उत्पन्न हो जाता है, इसे conduction कहते हैं।
  • इस विधि मे आवेश का बराबर  वितरण होता है !
  • प्रेरण द्वारा ( By Induction) :- जब एक आवेशित वस्तु के पास अनावेशित वस्तु को लाया जाता है तो सामने वाले सिरे पर विपरीत आवेश तथा दूसरे सिरे पर समान, आवेश उत्पन्न हो जाता है इस घटना को प्रेरण कहते है !
प्रेरण

आवेश का गुण

  1. आवेश का क्वाण्टमीकरण :- आवेश के क्वाण्टमीकरण के अनुसार इलेक्ट्रान  का स्थानांतरण एक वस्तु से दूसरे वस्तु में सदैव पूर्ण गुणज  के रूप में होता है, यह भिनात्मक नहीं हो सकता है।        Q = ne , जहाँ n = 1e ,2e ,3e,4e …………..                                                                                                                           अपवाद – quark 
  2. आवेश का संरक्षण सिध्दांत :- आवेश के संरक्षण सिद्धांत के अनुसार आवेश का  न तो निर्माण किया जा सकता है और ना ही नाश किया जा सकता है!
  3. आवेश केवल दो प्रकार का ही संभव पहला धनावेश दूसरा ऋणावेश तीसरा आवेश संभव नहीं है !
  4. आवेश का बीजगणितीय योग:- किसी वस्तु पर उपस्थित कुल  आवेश उस वस्तु के अलग-अलग भागों में उपस्थित आवेशों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है। 
आवेश
  • परमाणु विद्युततः उदासीन होता है, क्योंकि इसमें धनावेश प्रोट्रॉन तथा ऋणावेश इल्केट्रॉन की संख्या बराबर होती है।
  • जब कोई वस्तु आवेशित होता है तो उसका द्रव्यमान बढ़ या  घट  सकता है! 
  •  जब किसी वस्तु के ऊपर धनावेश आता है तो उसके द्रव्यमान मे  कमी  होता है! ।
  • जब किसी वस्तु के ऊपर ऋणावेश उत्पन्न होता है तो उसके द्रव्यमान में वृद्धि होती है!

कूलम्ब का नियम

कूलम्ब  का नियम के अनुसार दो स्थिर बिन्दु आवेशों के बीच लगने वाला आकर्षण या प्रतिकर्षण बल दोनों आवेशों के परिणामों के गुणनफल के समानुपाती तथा उसके बीच के दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है !

कूलम्ब के नियम का महत्व

  • यह केवल बिन्दु आवेशों के लिए ही सत्य है !
  • यह बहुत बड़ी दूरियाँ से लेकर बहुत छोटी दूरियों (10 to the power -15)तक के लिए लागू होता है !
  • यह बल हमे बताता है कि परमाणु के अंदर electron नाभिक से कैसे बंधा होता है !

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